रात को टलने दो,
आँधी थोड़ी बाक़ी है
उसे ढलने दो…
आँसू भी टूटकर गिरते है अब
आँखों को ज़रा संभलने दो,
रात को टलने दो….!
-अमोल मटकर
रात को टलने दो,
आँधी थोड़ी बाक़ी है
उसे ढलने दो…
आँसू भी टूटकर गिरते है अब
आँखों को ज़रा संभलने दो,
रात को टलने दो….!
-अमोल मटकर