• Mon. Dec 23rd, 2024

वाचकांचे आणि लेखकांचे हक्काचे व्यासपीठ !

MAI EK TURPAYI / माय एक तुरपाई

माय सुरेख रांगोई
माय सुरेल अंगाई
माय घराचा देवरा
माय हक्काचा कोपरा

माय समयीची वात
माय धर्म माय जात
माय तुयं मायं नातं
माय पुरं गणगोत

माय आशेचा पदर
माय मम्मी नि मदर
माय अत्तराचा फोया
माय दह्याच्या गिठोया

माय सोनेरी झालर
माय रुपेरी अस्तर
माय सोसलेली कय
माय उनायाची झय

माय आसवांचा थेंब
माय अंकुरेल कोंब
माय नदी माय झरा
माय अमृताच्या धारा

माय घामेजल्या धारा
माय थंडगार वारा
माय शिवाई भिमाई
माय एक तुरपाई

माय वेद माय गीता
माय पयली कविता
माय थोर सुविचार
माय जीवनाचा सार

प्रविण जगन्नाथ बोपुलकर
खेट्री, जि. अकोला

Pin It on Pinterest

error: मित्र हे पेजच शेअर कर न ! कॉपी नको न करू !