छत से पानी वो टपकता है
फिर भी घर ये मुस्कराता है
बूत बनाकर जिसे पूजा है
फिर पत्थर बनकर बरसता है
हर रिश्ते में प्यार बसता है
फिर खोकर विश्वास टूटता है
मुमकिन कोशिश ये जारी है
फिर बेवजह साथ छूटता है
कहानी पुरी बिखर गयी है
फिर हरेक वाक़या जुड़ता है
— शिल्पा गंजी
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